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Are Chandal ( अरे चंडाल ) Hindi PDF – Pramod Kumar Tiwari

अरे चंडाल, प्रमोद कुमार तिवारी के द्वारा लिखी गयी एक उपन्यास  है। यह पुस्तक हिंदी भाषा में लिखित है। इस पुस्तक का कुल भार 41 MB है एवं कुल पृष्ठों की संख्या 468 है। नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन द्वारा आप इस पुस्तक को डाउनलोड कर सकते है।  पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र होती है। यह हमारा ज्ञान बढ़ाने के साथ साथ जीवन में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। हमारे वेबसाइट JaiHindi पर आपको मुफ्त में अनेको पुस्तके मिल जाएँगी। आप उन्हें मुफ्त में पढ़े और अपना ज्ञान बढ़ाये।

Writer (लेखक ) विश्वबन्धु शास्त्री
Book Language ( पुस्तक की भाषा ) संस्कृत
Book Size (पुस्तक का साइज़ )
41 MB
Total Pages (कुल पृष्ठ) 468
Book Category (पुस्तक श्रेणी) Literature / साहित्य , Novels / उपन्यास

पुस्तक का एक मशीनी अनुवादित अंश

सड़क किनारे खड़े कन्हैया सिंह को बस दिख गई थी आती हुई। सड़क में बने गड्ढों पर कत्थक करती। और कन्हैया सिंह सोच ही रहे थे कि कुछ टेढ़-टाबुक बतकही किए तो हुमचकर देंगे एक तबड़ाक कंडक्टर राम को, कि बस के अगले गेट पर लगे रॉड से लटकते गोसांई पांड़े दिखाई दे गए। गले में चमड़े का बैग झूल रहा था।

“लपक लो कन्हइया भाई, टाइम फेल हो रहा है।” कन्हैया सिंह पर नजर पड़ते ही चिल्लाए गोसांई पड़े।

“ठेंगे से, हो रहा है तो।” कन्हैया सिंह ने कहा, “हमको लगा है हगवास । हो के आते हैं तो चलते हैं।”

“गरमीया में हो, गरमीया में, पिआ काहे के बोलवल, गरमीया में…” गेट के रॉड से लटकते हुए ही गाना शुरू कर दिया है गोसांई पाड़े ने।

“मन तो कर रहा है कि दू मुक्का धर दें नकबोलवा पर…” बड़बड़ाते हुए बस के पायदान पर खड़े हो गए हैं कन्हैया सिंह, क्योंकि उससे आगे जाने का रास्ता नहीं दिखा।

___ “गेटवा पर काहे जाम किए हुए हैं भाई आप लोग?” गोसाई पड़े रॉड से लटके हुए ही चिल्लाए और एक झोंके की तरह कन्हैया सिंह के साथ-साथ दाखिल हो गए बस के अंदर।

___ “सनक गए हैं का जी?” एक जनाना सवारी गुस्साई एकदम से धसोर दिए जाने पर-“पीछवा कहां जगह है कि चला जाए कोई?”

“ई बाबा, सही में बहुत नाजायज काम हो रहा है।” सड़ी हुई गर्मी और गुनी के ईट-भट्ठे में काम करने वाली एक मजदूरनी की देह से आती तीखी गंध से परेशान एक अपेक्षाकृत साफ-सुथरी सवारी बोली।

“कुछ नाजायज नहीं हो रहा है, धर्मात्मा।” गोसाई पांडे भीड़ में बेचारी बनी एक पतोहुनुमा जनाना सवारी के पास पोजीशन लिए हुए जम गए हैं, “अब बताइए कि यही बहिनजी बाहर घाम में खड़ा होकर ‘हरेराम, सीताराम’ जप रही थीं, इनको गुनी पहुंचाने के लिए बिल क्लिंटन का हेलिकॉप्टर आता?”

सवारियां हैंस पड़ी हैं पसीने से तरबतर होने के बावजूद।

जनाना सवारी को अपने बारे में बतियाया जाना और गोसांई पाड़े के द्वारा खास-खास जगहों पर घकियाया जाना, दोनों ही अच्छा नहीं लग रहा, पर चलती बस से कौन कूद रहा था कि वही कूद जाए! और परेशान कौन नहीं था वहां?

“प्रीवलेम बांटने से न कम होता है।” गोसाई पाड़े कह रहे हैं, “हमारा कहनाम है कि सबके कपार में ढील पड़ा हुआ है, तो अपना-अपना कपार मत खुजलाए. एक-दूसरे के कपार का ढील हेर दे।”

डिस्क्लेमर – यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं।

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