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Kalyan Katha Kosh (कल्याण कथा कोष) PDF – Kalyan Rishi

कल्याण कथा कोष कल्याण ऋषी  के द्वारा रचित एक कथा संग्रह है। यह पुस्तक हिंदी भाषा में लिखित है। इस पुस्तक का कुल भार 1.39 MB है एवं कुल पृष्ठों की संख्या 56 है। निचे दिए हुए डाउनलोड बटन द्वारा आप इस पुस्तक को डाउनलोड कर सकते है।  पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र होती है। यह हमारा ज्ञान बढ़ाने के साथ साथ जीवन में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। हमारे वेबसाइट JaiHindi पर आपको मुफ्त में अनेको पुस्तके मिल जाएँगी। आप उन्हें मुफ्त में पढ़े और अपना ज्ञान बढ़ाये।

Writer (लेखक ) कल्याण ऋषी
Book Language ( पुस्तक की भाषा ) Hindi | हिंदी
Book Size (पुस्तक का साइज़ )
1.39 MB
Total Pages (कुल पृष्ठ) 36
Book Category (पुस्तक श्रेणी) Story / कहानी

पुस्तक का एक अंश

संयम काल उत्कृष्ट वेराग्यमय, सतत सुकर्मशीलता और श्र्‌ त-साहित्य-ठवा करते हुए सानन्द व्यतीत किया । आपश्री का जीवन ज्ञान का कल्पत्तरु था। आपभ्री वाल ब्रह्मचारी थे । सभी सम्प्रदाय के सन्त समुदाय और श्रावक वर्ग पृज्यश्री के प्रति अतीव आदर भाव से प्रेम, सम्मान, सहानुभूत्ति, भक्ति और श्रद्धा रखते थे । आप शान्त, दांत और क्षमाशील थे । अपने युग में आपश्री एक आदरों श्रमण के रूप में विख्यात तथा सम्मानित रहे । गाज शताब्दी वीत जाने पर भी उनका गरिमामय इतित्व सम्पूर्ण स्थानकवासी जेन समाज के लिए गौरवास्पद है।

साहित्य सेवा – आपआश्री हारा बनुवादित, सम्पादित, लिखित और संग्रहीत एवं रचित भ्रन्थों की संख्या १०२ है जिनकी कुल प्रतियाँ १७६३२४ प्रकाशित हुई। कुल भ्रच्थों-की मूल प्रेस कापी के पृष्ठों की संख्या पचास हजार जितनी है।

दीक्षित शिष्य – भपक्री द्वारा दीक्षित सन्‍्तों की बर्थात्‌ खुद के शिष्यों की संख्या १४ हूँ ।

सयम्र काल – पृज्य श्री जी ने ४७ वर्ष ६महीवा और १२ दिन तक साधु-जीवन की–संयम की निरतिचार परिपालना की ।

पुण्य तिथि – संवत्‌ १६६३ के दूसरे भाद्रपद कृष्णा १४ तद- नुसार तारीख १३-६-१६३६ की रात्रि के ११३ वजे घुलिया (पश्चिम खानदेश) में समाधिपुूर्वक एवं शांति के साथ स्वयंवास हुआ। उस समय पृज्यश्री जी की गायु ६० वर्ष गौर दिन की थी ।

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