मानव भूगोल के सिद्धांत, डॉ आर के मुखर्जी के द्वारा लिखी गयी भौगोलिक पुस्तक है। यह पुस्तक हिंदी भाषा में लिखित है। इस पुस्तक का कुल भार 35 MB है एवं कुल पृष्ठों की संख्या 323 है। नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन द्वारा आप इस पुस्तक को डाउनलोड कर सकते है। पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र होती है। यह हमारा ज्ञान बढ़ाने के साथ साथ जीवन में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। हमारे वेबसाइट JaiHindi पर आपको मुफ्त में अनेको पुस्तके मिल जाएँगी। आप उन्हें मुफ्त में पढ़े और अपना ज्ञान बढ़ाये।
Writer (लेखक ) | डॉ आर के मुखर्जी |
Book Language ( पुस्तक की भाषा ) | हिंदी |
Book Size (पुस्तक का साइज़ ) |
16.15 MB
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Total Pages (कुल पृष्ठ) |
116
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Book Category (पुस्तक श्रेणी) | Geography / भूगोल, Literature / साहित्य |
पुस्तक का एक मशीनी अनुवादित अंश
भुगोल-बह क्रमबद्ध विज्ञान है जिसका अध्ययन-न्तेत्र पथ्ची तथा ननुष्य को पारस्परिक सम्बन्ध है । हमारा अध्ययन उन्हीं तथ्यों तक सीमित है. जिनका मनुष्य से सम्बन्ध है, जिन्होंने उसे प्राचीन काल से प्रभावित किया है, जो आज भी प्रभावित कर रहे हैं और भविष्य में भी करेंगे | साथ ही इसके अन्तर्गत वे तथ्य भी आतें हैं जिन्हें मतष्य तथा पथ्वी के पारसधरिक सम्बन्ध का- परिणाम कहा जा सछुता है. जले उद्योग-घन्धचे, आवागमन रे साधन, आम तथा नगर आदि ।| परन्तु हमे यह नह भूलना चाहिए कि एक प्रगतिशील विज्ञान है। मनुष्य परिवतनशील है, पृथ्वी परिवतन ‘ शील है, अतः दोनों का पारस्परिक सम्बन्ध परिवतनशील है। जो आज भविष्य रेऊल वहीं वर्तँयान, परसों भूत बन जायगा । यही प्रकृति का नियम है।
फिर भला भगोल बिस का आधार परिवर्तन है, स्थायी किस रूप में कही जा सकती है। अतेः ‘ मानव-संस्थाओं का अध्ययन प्रगतिवाद के अन्तर्गत हीं अपना समृचित स्थान प्राप्त कुरूसकता है। प्रमतिशील मनुष्य जो निशिदिन इन्कलाब के नारे लगाता है ओर जिसकी श्रास्था परिवर्तन में है किसी चहारदीवारी के अन्दर नहीं बन्द किया जा सकता | वह तेजी के साथ बदल रहा है। हाँ, कमी प्रकृति भी ्राकस्मिक परिवतन देखती है | ज्वालामुखी के उदगारों से लावा पृथ्वी के धरातल पर पठ जाता है; भकमों से पथ्वी काँस उठती है और कतिपय घरातल छिन्न-विच्छिन्न हो जाता है टाईफून तथा ठानेंडो द्वारा सागर का क्रोध फूल पढ़ता है, और बाढ़ सेकड़ों मील भूमि को अदित कर लेती है ।
डिस्क्लेमर – यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं।