संस्कृत-श्लोक संग्रह: में आपको संस्कृत श्लोको का अथाह संग्रह मिलता है। यह पुस्तक संस्कृत भाषा में लिखित है। इस पुस्तक का कुल भार 1.39 MB है एवं कुल पृष्ठों की संख्या 56 है। निचे दिए हुए डाउनलोड बटन द्वारा आप इस पुस्तक को डाउनलोड कर सकते है। पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र होती है। यह हमारा ज्ञान बढ़ाने के साथ साथ जीवन में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। हमारे वेबसाइट JaiHindi पर आपको मुफ्त में अनेको पुस्तके मिल जाएँगी। आप उन्हें मुफ्त में पढ़े और अपना ज्ञान बढ़ाये।
Writer (लेखक ) | अज्ञात |
Book Language ( पुस्तक की भाषा ) | Hindi | हिंदी |
Book Size (पुस्तक का साइज़ ) |
2 MB
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Total Pages (कुल पृष्ठ) | 266 |
Book Category (पुस्तक श्रेणी) | Uncategorized |
पुस्तक का एक अंश
अर्हन्तो भगवन्त इन्द्रमहिता सिद्धाश्च सिद्धिस्थिता ।
प्राचार्या जिनशासनोसतिकरा पूज्या उपाध्यायका ॥
श्रीसिक्षन्तसुपाठका मुनिवरा रत्नत्रयाराधका ।
पञ्चते परमेष्टिन प्रतिदिन कुर्वन्नु नो मङ्गलम् ।
श्रीपावापुरपत्चनेऽन्तिमजिन शैले समेताभिधे ।
शेषा विंशतयो गता शिवपदं कुर्वन्तु नो मङ्गलम् ॥
इन्द्राग्न्याऽऽशुगभूतय समकुला व्यक्त.सुधर्मातथा ।
पष्टो मण्डितपुत्रको गणधरो मौर्यात्मज सप्तम ॥
श्रेयो दृष्टिरकम्पितो गुणमणिधीरोऽचलभ्रातृक ।
मेतार्यो दशम प्रभासगणभृत्कुर्वन्तु नो मङ्गलम् ।।
याही चदनवालिका भगवती राजीमती द्रौपदी।
कौशल्या च मृगावतीच सुलसा सीतासुभद्रा शिवा।।
कुन्ती शीलवती नलस्य दयिता चूड़ा प्रभावत्यपि ।
पद्मावत्यपि सुन्दरी प्रतिदिन कुर्षन्तु नो मङ्गलम् ।।
वीरस्सर्वसुरासुरेन्द्रमहितो वीर वुधा सश्रिता ।
वीरेणामिहत स्वकर्मनिचयो वीराय नित्य नम ॥
वीरातीर्थमिदं प्रवृत्तमतुल्ल वीरस्य घोरं तपो ।
वीरे श्रीतिकीर्तिकान्तिनिचय. श्रीवीर! भद्र दिश–