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Satsang | सत्संग Hindi PDF – Suresh Rambhai

सत्संग, सुरेश रामभाई के द्वारा लिखी गयी एक साहित्यिक पुस्तक  है। यह पुस्तक हिंदी भाषा में लिखित है। इस पुस्तक का कुल भार 3 MB है एवं कुल पृष्ठों की संख्या 126 है। नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन द्वारा आप इस पुस्तक को डाउनलोड कर सकते है।  पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र होती है। यह हमारा ज्ञान बढ़ाने के साथ साथ जीवन में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। हमारे वेबसाइट JaiHindi पर आपको मुफ्त में अनेको पुस्तके मिल जाएँगी। आप उन्हें मुफ्त में पढ़े और अपना ज्ञान बढ़ाये।

Writer (लेखक ) सुरेश रामभाई
Book Language ( पुस्तक की भाषा ) हिंदी
Book Size (पुस्तक का साइज़ )
3 MB
Total Pages (कुल पृष्ठ) 126
Book Category (पुस्तक श्रेणी) Literature / साहित्य

पुस्तक का एक मशीनी अनुवादित अंश

क्या जन-साधारण की गरीबी को दूर करने के लिए भूदान-यज्ञ पर्याप्त है। यह सवाल विद्यार्थियों की एक मंडली ने एक दिन बापा से किया । अपनी भूदान यज-यात्रा के दौरान मे विद्यार्थियों की भेट बाबा से अक्सर होती है। चाया को उनके सत्संग में बहुत श्रानन्द आता है, क्योंकि वे अपने को विद्यार्थी ही मानते हैं। विद्यार्थियों के साथ बे समरसता महसूस करते हैं।

विद्यार्थियों ने ना यह सवाल पूछा, तब बाबा मुसकराये और बोले कि श्रापकी बात से हम महमत हैं। केवल भूदान से गरीबी का मसला हल नहीं होगा, लेकिन हम यह भी कह देना चाहते हैं कि बिना भूदान के भी यह मसला हल नहीं होगा। भूदान मकान की बुनियाद के जैसा है। इसके प्राधार पर दी सारी इमारत खड़ी हो सकेगी।

इसके बाद उन भाइयों ने पूछा कि क्या भूदान यज्ञ से अार्थिक समानता पूरे रूप से प्रोर स्थायी तौर से कायम हो सकेगी।

पाया बोले कि यह प्रापका सवाल नहीं है, बल्कि आपने अपना विचार रानित किया है। इसमें भी हम सहमत हैं कि इससे समानता नहीं पायेगी, पर इसके बिना भी नहीं आयेगी। गाँव-गाँव मे जो कच्चा माल होता है, उसका पया माल वीं बनना चाहिए । वर माल यदी खर्च होना चाहिए । चादर से सिर्ग बदी चीजें प्रायें, जो गाँववाले न बना सकें। गाँव मे तालीम, न्यार, दवा-दारू आदि का प्रपना इन्तजाम हो । नौकरियों में करीब-करीव समान तनख्वाह हो । जब यह होगा, तभी श्रार्थिक समानता हो सकेगी। क्या पटना के टिकट से श्राप दिल्ली पहुँच पाइयेगा ! जब तक गाँव में बाहर का माल श्राता है और गाँव का कच्चा माल बाहर पाता है, जब तक तनख्वाद या श्रामदनी में श्राज की जैसी विषमता है, तब तक आर्थिक समानता नहीं।

डिस्क्लेमर – यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं।

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