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Stri Subodhini ( स्त्री सुबोधिनी )

स्त्री सुबोधिनी, सन्नूलाल गुप्त साहिब के द्वारा लिखी गयी एक साहित्यिक पुस्तक  है। यह पुस्तक हिंदी भाषा में लिखित है। इस पुस्तक का कुल भार 35 MB है एवं कुल पृष्ठों की संख्या 323 है। नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन द्वारा आप इस पुस्तक को डाउनलोड कर सकते है।  पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र होती है। यह हमारा ज्ञान बढ़ाने के साथ साथ जीवन में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। हमारे वेबसाइट JaiHindi पर आपको मुफ्त में अनेको पुस्तके मिल जाएँगी। आप उन्हें मुफ्त में पढ़े और अपना ज्ञान बढ़ाये।

Writer (लेखक ) सन्नूलाल गुप्त
Book Language ( पुस्तक की भाषा ) हिंदी
Book Size (पुस्तक का साइज़ )
35 MB
Total Pages (कुल पृष्ठ) 323
Book Category (पुस्तक श्रेणी) Literature / साहित्य

पुस्तक का एक मशीनी अनुवादित अंश

भोजन बनाने का भार स्त्रियों परही रहना अच्छाहै इस कारण कि यह आठ पहर घर में ही रहती हैं-जब स्त्रियां चतुर होती थीं तब तो इस देश की बराबर यह विद्या कहीं नहीं थी ‘छप्पन भोग’ और ‘छत्तीस व्यञ्जन’ अब तक प्रसिद्ध चले आते हैं-एक २ वस्तुमें नाना प्रकार की सामग्री बनाती थीं पर अब बनाना कठिन होगया है-क्योंकि स्त्रियां क्रियाहीन है इस विद्या को जानती ही नहीं हैं-नहीं तो एक २ अन्न मेंसे वह २ पदार्थ बनते थे कि बस कुछ कहा ही नहीं जाता जीभ ही ने चाखा और जीम ही ने जाना कहने में कुछ नहीं आसक्का स्त्री को यह विद्या अवश्य ही सीखनी चाहिये नहीं तो भखी ही मर जायगी-बहुत से घर तो ऐसे होते हैं कि जहां नौकर चाकर तो रख नहीं सक्ते और मोल ला २ कर बाजार से खाते हैं जिसमें दाम तो अधिक उठते हैं और काम कुछ भी नहीं सस्ता जो स्त्री भोजन बनाना जानती है तो यह दुःख फिर नहीं रहता कि बाजार से लाने में दाम डालने पड़ें-उतने ही दाम में उससे ड्योढ़ा दूना भोजन घर पर बन सक्ता है |

सुन्दर भोजन इतने सकारों सहित होना चाहिये अर्थात् उसमें स्वरूप-स्वच्छता-स्वाद औरसुगन्ध अच्छे होने चाहिये इनके होने से भोजन में रुचि उत्पन्न होती है और इनहीं के न होने से उसी भोजन में अरुचि और ग्लानि होजाती है भोजन बनाने में चारखातोंका ध्यान रक्वे-

(१) रसोइया को मैला कुचैलान रहना चाहिये स्वच्छ और पवित्रहो, कुरूप भी न हो-कोई संक्रामिक (छूत वा उड़कर लगने वाला) रोग उसके न हो जैसे खाज को दवा गरमी-

(२) जिन वस्तुओं का भोजन बनावे उनको पहिले बीन फटककर सुथरा करले करा कर्कट बाल मिट्टी न रहने दे-

(३)जिन पात्रों में भोजन रक्खे वे बहुत अच्छी तरह से मँजे धुलेहों मैले कुचैले न हों-

(४) स्थान भी रसोई का बहुतही सुथरा स्वच्छ और पवित्र हो

डिस्क्लेमर – यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं।

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