अभिज्ञान शाकुन्तलम् महाकवि कालिदास का विश्वविख्यात नाटक है जिसका अनुवाद प्रायः सभी भाषाओं में हो चुका है। इसमें महाकवि कालिदास जी के द्वारा रची राजा दुष्यन्त तथा शकुन्तला के प्रणय, विवाह, विरह, प्रत्याख्यान तथा पुनर्मिलन की एक सुन्दर कहानी है। पौराणिक कथा में आकाशवाणी द्वारा बोध होता है पर इस नाटक में कवि ने मुद्रिका द्वारा दुष्यन्त का बोध कराया है। इस पुस्तक का कुल भार 13 MB है एवं कुल पृष्ठों की संख्या 596 है। नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन द्वारा आप इस पुस्तक को डाउनलोड कर सकते है। पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र होती है। यह हमारा ज्ञान बढ़ाने के साथ साथ जीवन में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। हमारे वेबसाइट JaiHindi पर आपको मुफ्त में अनेको पुस्तके मिल जाएँगी। आप उन्हें मुफ्त में पढ़े और अपना ज्ञान बढ़ाये।
Writer (लेखक ) | महाकवि कालिदास |
Book Language ( पुस्तक की भाषा ) | संस्कृत |
Book Size (पुस्तक का साइज़ ) |
20 MB
|
Total Pages (कुल पृष्ठ) |
480
|
Book Category (पुस्तक श्रेणी) | Drama / नाटक |
पुस्तक का एक मशीनी अनुवादित अंश
मभिमानेंयाकुन्तले (सूत्रधारः-भार्ये, सम्यगनुबोधितोऽस्मि । अस्मिन् क्षणे विस्मृत खलु मया। कुतः। तवास्मि गीतरोगेण हारिणा प्रसभ इतः । एप राजेघ दुभ्यन्त: सारनेणातिरंहसा ॥५॥ (निधान्ती) इति ‘प्रस्तावना (तत प्रविशति मृगानुसारी सशरचापहस्ती राजा रघेन मतब) सूत:-(राजान मृग चावटोक्य) आयुष्मन्… कृष्णसारे दचक्षुस्त्वयि चाधिज्यकार्मुके। मृगानुसारिणं साक्षात् पश्यामीव पिनाकीनम् ॥६॥ राजा-मृत, दूरममुना सारङ्गेण वयमाथा । अय पुनरिदानीमपि प्रीवाभाभिराम मुहुरनुपतति स्यन्दने ‘पद्धरधिः पश्चार्धन प्रयिष्टः शरपतनमयाद्यसा पूर्वकायम।
डिस्क्लेमर – यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं।