भारत में अंग्रेजी राज, श्री सुन्दरलाल के द्वारा लिखी गयी पुस्तक है। इस पुस्तक में सुंदरलाल जी ने भारत को आजादी मिलने से पहले के जीवन का वर्णन किया है। यह पुस्तक हिंदी भाषा में लिखित है। इस पुस्तक के तीन भाग है जिसका भार क्रमशः 24 MB, 24 MB एवं 20.31 MB है एवं कुल पृष्ठों की संख्या क्रमशः 733, 734 एवं 744 है। निचे दिए हुए डाउनलोड बटन द्वारा आप इस पुस्तक को डाउनलोड कर सकते है। पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र होती है। यह हमारा ज्ञान बढ़ाने के साथ साथ जीवन में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। हमारे वेबसाइट JaiHindi पर आपको मुफ्त में अनेको पुस्तके मिल जाएँगी। आप उन्हें मुफ्त में पढ़े और अपना ज्ञान बढ़ाये।
Writer (लेखक ) | सुन्दरलाल |
Book Language ( पुस्तक की भाषा ) | Hindi | हिंदी |
Book Size (पुस्तक का साइज़ ) |
24 MB, 24 MB & 20.31 MB
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Total Pages (कुल पृष्ठ) | 733, 734 & 744 |
Book Category (पुस्तक श्रेणी) | Literature / साहित्य |
पुस्तक का एक मशीनी अनुवादित अंश
इस समय की इतिहास कला बहुत दर्जे तक भाजपाल की यूरोपीय सभ्यता की पैदा की हुई है। प्राचीन चीन,भारत, ईराम, मिन इत्यादि में भी यह कला थोदी बहुत मौजूद थी। इनमें से हर देश में उस देश की पुरानी सभ्यता का थोड़ा बहुत लिखा हुआ इतिहास मिलता है। प्राचीन यूनान और रोम में इस कला ने और उनति की । अनेक यूनानी और रोमन विद्वानों के उस समय के लिखे हुए इतिहास आज तक प्रमाण माने जाते हैं। इसके बाद परयों का समय आया और, वहाँ तक इस कला को वैज्ञानिक इंग से उन्नति देने और इतिहास की सचाई को कायम रखने का प्रश्न है, पुस्तक प्रवेश शायद किसी भी प्राचीन कौम ने इस विषय में इतना अधिक परिश्रम नहीं किया जितना अरबों ने । ईसा की ११ वी सदी में प्रसिद्ध मुसलमान इतिहास लेखक अक्षयेरूनी ने इतिहास कला पर बड़ी सुन्दर वैज्ञानिक विवेचना की है और इतिहास के विद्यार्थियों को सावधान किया है कि हर इतिहास लेखक की स्वाभाविक प्रवृत्तियों से कितनी तरह की प्रान्तियाँ पैदा हो सकती है जिनसे बच सकना उसके लिए अत्यन्त कठिन है । और भी अनेक प्रामाणिक इतिहास लेखकों और इतिहास कला विशारदों के नाम उस समय के अरबों में मिलते हैं।
किन्तु फिर भी हमें यह स्वीकार करना होगा कि विस्तृत इतिहास लिखने का जो रिवाज आजकल के समय में प्रचलित है यह प्राचीन देशों में कहीं न था । प्राचीन संसार में, और खास कर प्राचीन भारत में, आजकल के अर्थों में अपने अपने देशों या जातियों के इतिहास लिखने का काम न इतना ज़रूरी समझा जाता था और न उसे इतना महत्व दिया जाता था।
डिस्क्लेमर – यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं।