प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियां, मुंशी प्रेमचंद के द्वारा लिखी गयी एक कहानी संग्रह है। यह पुस्तक हिंदी भाषा में लिखित है। इस पुस्तक में उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की सर्वश्रेष्ठ कहानियो का संग्रह मिलता है। इस पुस्तक का कुल भार 5.33 MB है एवं कुल पृष्ठों की संख्या 204 है। नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन द्वारा आप इस पुस्तक को डाउनलोड कर सकते है। पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र होती है। यह हमारा ज्ञान बढ़ाने के साथ साथ जीवन में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। हमारे वेबसाइट JaiHindi पर आपको मुफ्त में अनेको पुस्तके मिल जाएँगी। आप उन्हें मुफ्त में पढ़े और अपना ज्ञान बढ़ाये।
Writer (लेखक ) | रघुनाथप्रसाद मिश्र |
Book Language ( पुस्तक की भाषा ) | हिंदी |
Book Size (पुस्तक का साइज़ ) |
24.93 MB
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Total Pages (कुल पृष्ठ) | 636 |
Book Category (पुस्तक श्रेणी) | Story / कहानी |
पुस्तक का एक मशीनी अनुवादित अंश
डाक्टर चड़ढा ने कलाई पर नजर डाली | केवल दस मिनट समय ओर बाक़ी था | गोल्फ़-स्टिक खूँटी से उत्तारते हुए बोले– कल सवेरे आअ , कल सवेरे; यह हम,रे खेलने का समय है | बूढ़े ने पगड़ी उतार कर चौखट पर रख दी और रोकर बोला- हजूर एक निगाह देख ले | दस एक निगाह ! लड़का हाथ से चला जायगा हजूर सात तलड़कों में यही एक क्च रहा है। हजूर, हम दोनों आदमी रो-रोकर सर जायँंगे, सरकार ! आपकी बढ़ती हो, दीन वस्धु !
ऐसे उन्नड़ु देहाती यहाँ प्रायः रोज़ ही आया करते थे। डाक्टर साहब उनके स्थभाव से खूब परिचत- थे | कोई कितना ही कुछ कहे; पर वे अपनी ही रट लगाते ज्ञायेंगे। किसी की सुनेगे नहीं । धीरे से चिक उठाई और बाहर निकल कर मोटर की तरफ् चले | बूढ़ा यह कद्दता हुआ उनके पीछे दोड़ा–स।कार बड़ा धरस होगा, हजूर दया कीजिये, बड़ा. दीन दुखी हूँ, संसार में कोई ओर नहीं है, वाबू जी ! सगर डाक्टर साहव ने उसकी ओर मुँह फेरकर देखा तक भी नहीं | मोटर पर बेठकर ब्रोले–कल सबेरे आना
मोटर चली गई | बूटा कई मिनट तक मुर्ति की भाँति निश्चल खड़ा रहा | संसार में ऐसे मनुष्य भी होते हैं, भो अपने भामोद- प्रमोद के श्रागे किसी की जान की भी परवा नहीं करते, शायद इसका उसे अब भी विश्वास न थ्राता था। सभ्य-संसार इतना निमम, इतना कठोर है, इसका ऐसा ममभेदी अनुभव उसे अब दक न हुआ था , वह उन पुराने ज़माने के जीवों में था, जो कगी हुई श्राग को बुमाने, मुर्दे को कन्धा देने, किसी फे छप्पर को छठाने ओर फिसो कलह को शान्त करने फे लिये सदेव तेयार रद्दते थे। कब तक यूहे को मोटर दिखाई दी, वद्द खड़ा टकटकी लगाये उस झोर ताकता रहा |
डिस्क्लेमर – यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं।